आज तू मयस्सर नहीं मेरे रूबरू तनहा शायर हूँ आज तू मयस्सर नहीं मेरे रूबरू तनहा शायर हूँ
अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ
बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना. बारिश की पहली बूंदो को, तुम हथेली में छुपा लेना.
कोई लौटा दे फिर वही दिन... कोई लौटा दे फिर वही दिन...